मुस्कुराहट की लकीरें

मुस्कुराहट की लकीरें हमने होठों में खींच ली ,

दर्द छुपाने की वजह हमने ज़माने से सीख ली ,

अब कभी कभी मुस्कुरा लेते है हम ,

खुश रहने की कला हमने बेहिसाब सीख ली ,

दिल में गम लिए,होठो पे मुस्कराहट ,

अपने को बेवक़ूफ़ बनाने की कारीगिरी हमने सीख ली ,

महफ़िल में ना चाह कर भी ठाहाका लगाए फिरते है ,

अपने को ज़िंदादिल दिखने की दस्तकारी हमने सीख ली !

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