मानो या ना मानो

                                   
 

मानो या ना मानो.....मानो तो सब कुछ ना मानो तो कुछ नहीं। ये किस्सा कोई मनघडंत वाकया नहीं पर एक आप बीती है। बात है 2017 की ,तब मैं अपने घर के पास एक जाने माने स्कूल मैं शिक्षिका के रूप में कार्यरत थी ।हमारे स्कूल की फ्रेंच टीचर ,बच्चो के लिए यूरोप का educational ट्रिप का विचार हम सभी स्टाफरूम में बैठे टीचर्स से साझा कर रही थी। मैं भी बड़ी उत्सुकता से उनकी बातों को ध्यान से सुन रही थी । उन्होने बताया की 8 दिन के ट्रिप में 4 देश जिसमे घूमना ,रहना और खाना, मात्र खर्च एक लाख सत्तर हज़ार रुपए था ।मेरे पूछने में उन्होंने बताया की अगर कोई टीचर भी जाने की इच्छुक है तो वो भी चल सकती है। मैं और मेरी एक और सहकर्मी के अलावा कोई और इच्छुक नहीं था ।

बच्चों का ट्रिप किसी कारण कैंसिल हो गया ,हमें बड़ी निराशा हुई ,पर जब फ्रेंच टीचर ने हमें सुझाव दिया की क्यों न इसे पर्सनल ट्रिप बना दिया जाये जो लोग जाना चाहते है वह उन्हें बता दे।एक हफ्ता निकलने के बाद ,चार टीचर्स और फ्रेंच टीचर और उनके परिवार के लोग ट्रिप के लिए तैयार हो गए । 

यूरोप जा रहे हो तो बहुत से documents की जरुरत होती है और सबसे बड़ा चैलेंज होता है schengen visa , जिसे एक बार में मिल जाये वह बहुत खुशकिस्मत है। चलो आगे बढ़ाते है, मैं और मेरी सहेली ने अपने सारे documents एकट्ठा किये जिसमे काफी मेहनत है ,कभी बैंक के चक्कर कभी स्कूल मैनेजमेंट की खुशामत में की हमें NOC दे ,घंटो लैपटॉप के आगे बैठ कर ऑनलाइन फॉर्म भरना ,और क्या नहीं I स्कूल के साथ साथ ये सब चलता रहा I चलो वह दिन भी आ गया जब वीज़ा के लिए वीज़ा consulate जाना था।वह काम भी कर आये।  

लो जी कुछ दिनों के बाद पता चला की visa रिजेक्ट हो गया ,थोड़ी निराशा हुई ,पर दोबारा अप्लाई करने का सोचा क्यूंकि एक तो यूरोप जाने का सपना था और दूसरा ये भी सुना था की पहली बार में वीज़ा रिजेक्ट होतो ही है । 

दोबारा वीसा अप्लाई किया ,फिर से सारी formalities पूरी की ,फिर बैंक के चक्कर ,मैनेजमेंट की खुशामत, ऑनलाइन फॉर्म भरना और फिर से वीज़ा ऑफिस जाना ।

यह सब करे अब 10 दिन से ज़्यादा हो गया था ,पहले पूरा विश्वास था की वीज़ा लग जायेगा पर जैसे जैसे दिन बीत रहे थे ,मन थोड़ा निराश हो रहा था की शायद वीज़ा ना लगे । थोड़े और दिन इंतज़ार किया , पर कुछ नहीं । इस विश्वास में की दूसरी बार वीज़ा लग जायेगा हमने फ्लाइट भी बुक करवा दी थी जो 13 जून 2017 की थी । 

अब 12 जून भी आ गयी ,स्कूल की छुट्टियां चल रही थी ,वीज़ा का कुछ अता पता नहीं । समझ नहीं आ रहा था की क्या होगा अब ,फ्लाइट भी बुक हो चुकी ,तैयारी भी पूरी ,बस अब आगे भगवान की मर्ज़ी । उसी दिन रात के 8 बज गए थे ,मैं घर में बने मंदिर के आगे खड़े होकर यह सोच रही थी की अब क्या करना है ? क्या फ्लाइट के पैसे डूब गए ? जब मन में यह विचार चल रहे थे तभी भगवान में चढ़े फूलों में से एक फूल नीचे आकर गिरा ,ये किसी चमत्कार से कम नहीं था ,कहो की चमत्कार ही था। रात को ठीक 12 बजे करीब मुझे मेल आया की मेरा वीज़ा approve हो गया ,फिर तो ख़ुशी का ठिकाना न रहा ।मैंने अपनी फ्रेंड को फ़ोन किया उसका भी वीज़ा लग गया था ।

बस बिस्तर से उठकर मै सीधा मंदिर की तरफ बढ़ी और भगवान को प्रणाम किया और अब पूरी तरह से ये विश्वास हो गया था की कलयुग मे भी चमत्कार होते है । ये अब आप पे है मानो या ना मानो ।

  

Comments

  1. Beautifully described the presence of almighty Ishwar

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    1. Thx for reading and sharing your thoughts on this

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  2. Excellent piece of writing

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