जब हर जगह प्यार होगा ।
जब हर जगह प्यार होगा ,
ना यह तेरा ,ना यह मेरा ,इस पे ना तकरार होग,
जब हर जगह प्यार होग।
हर मौसम खुशगवार होगा ,
पतझर भी बसंत लगेगा ,
सूरज की तपिश ,चाँदनी से शीतल होगी,
जब हर जगह प्यार होग।
अधरों पे रखी मुस्कान जब खिलखिलाएगी ,
सपनो के भोझ के तले आँखें जब टिमटिमायेगी ,
जब हर जगह प्यार होगा ।
आसमा में रंग भिखेरती तितलियाँ जब भवरों के संग बगिया में इठलाएगी ,
मद-मस्त पवन झूमती लताओं के संग पेंग बढ़ाएगी ,
जब हर जगह प्यार होगा ।
शाम की भटकी हुई सुर्ख लाली जब गालो को सहलाएगी ,
और जब अनकहे शब्द कानो में मिश्री से गूंजेगे ,
रेत से तप्ति ज़मीं ,पैरों के छालों पे सेख लगाएगी ,
और बारिश की बूंदे तन और मन को शीतल कर जाएगी ,
जब हर जगह प्यार होगा ।
और मै,कांधे पर सिर रखकर ,उबासी भरकर यह कहूँगी,
हर जगह प्यार होगा, अब हर जगह प्यार होग।
Good one ☝️
ReplyDeleteThx for reading 😊
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