एक जगह ऐसी भी हो

 


एक जगह ऐसी भी हो, जहाँ ज़मीन भी मेरी और आसमा  भी मेरा हो,

एक जगह ऐसी भी हो, जहाँ ना मै किसी की ना कोई मेरा हो,

एक जगह ऐसी भी हो ,जहाँ सब शून्य  हो, एक जगह ऐसी भी हो.... 


जहाँ भू बने माँ का आँचल ,झरने  सुनाये मुझे लोरियां ,

जहाँ मंद बयार मुझसे बातें करे ,भवरे करे अटखेलियां ,

एक जगह ऐसी भी हो,एक जगह ऐसी भी हो .....


जहाँ सोच मेरा साथ  दे ,चित मेरी बातें सुने ,

उर्र में बसी भावनाये ,निश्छल होकर मुझसे कहे ,

एक जगह ऐसी भी हो ,एक जगह ऐसी भी हो..... 


परियां रहती है जहाँ, उस लोक में मेरा वास हो ,

तितलियाँ जहाँ रंग बिखरे ,कलियों में उल्लास हो,

एक जगह ऐसी भी ,एक जगह ऐसी भी हो..... 


जहाँ कोई सीमा मुझको ना बांधे  ,में पतंग बनकर फिरू ,

इतलाऊँ ,लेहराऊं पर हाथ किसी के ना लागू ,

एक जगह ऐसी भी हो ,एक जगह ऐसी भी हो....


जा बना ले  तू घरोंदा ऐसी जगह जहाँ छल ना हो ,

जहाँ आज ही आज हो और जहाँ कल ना हो ,

एक जगह ऐसी भी हो ,एक जगह ऐसी भी हो।



 

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