जब हर जगह प्यार होगा ।
जब हर जगह प्यार होगा , ना यह तेरा ,ना यह मेरा ,इस पे ना तकरार होग, जब हर जगह प्यार होग। हर मौसम खुशगवार होगा , पतझर भी बसंत लगेगा , सूरज की तपिश ,चाँदनी से शीतल होगी, जब हर जगह प्यार होग। अधरों पे रखी मुस्कान जब खिलखिलाएगी , सपनो के भोझ के तले आँखें जब टिमटिमायेगी , जब हर जगह प्यार होगा । आसमा में रंग भिखेरती तितलियाँ जब भवरों के संग बगिया में इठलाएगी , मद-मस्त पवन झूमती लताओं के संग पेंग बढ़ाएगी , जब हर जगह प्यार होगा । शाम की भटकी हुई सुर्ख लाली जब गालो को सहलाएगी , और जब अनकहे शब्द कानो में मिश्री से गूंजेगे , रेत से तप्ति ज़मीं ,पैरों के छालों पे सेख लगाएगी , और बारिश की बूंदे तन और मन को शीतल कर जाएगी , जब हर जगह प्यार होग...